Friday, March 18, 2011

बुरा न मानो होली है

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बुरा न मानो होली है

Holi Animated Greeting




होली का त्यौहार यु तो पुरे देश के साथ विश्व के अलग अलग कोने में बसे भारतीय अपने अपने हिसाब से मानते है लेकिन कुछ प्रदेशो में इसका नाम कुछ और ही है जैसे
जहा होली को तमिलनाडु की कामन पोडिगई कहते है क्योंकि तमिलनाडु में होली का दिन कामदेव को समर्पित होता है
वही पंजाब में होला मोहल्ला .पंजाब मे भी इस त्योहार की बहुत धूम रहती है। सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री अनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है
और महाराष्ट्र की रंग पंचमी और कोकण की शिमगो ...महाराष्ट्र और कोंकण के लगभग सभी हिस्सों मे इस त्योहार को रंगों के त्योहार के रुप मे मनाया जाता है
वही बंगाल का बसंतोत्सव.....
गुरु रबीन्द्र नाथ टैगोर ने होली के ही दिन मे शांति निकेतन वसन्तोत्सव का आयोजन किया था इसके बाद

हरियाणा की मशहुर धुलण्डी

हरियाणा मे होली के त्योहार मे भाभियों को इस दिन पूरी छूट रहती है कि वे अपने देवरों को साल भर सताने का दण्ड दें...

कहते है हर पग पर पानी हवा बोल चाल की भाषा बदल जाती है उसी प्रकार होली भी देश के अलग अलग राज्यों में अलग अलग प्रकार से मनाई जाती है सभी जगह अपनी अपनी मान्यतायें है लेकिन है तो होली ही न जहा सभी कहते भी है

बुरा न मानो होली

अब बात करते है की आखिर कानपुर में होली सात दिनों की क्योँ मनाई जाती है क्या कारण है इसके पीछे ... तो आपको बताते है की


कानपुर में होली का मतलब होता है की पूरे सात दिनों तक ठेट कनपुरिया स्टाइल में रंगे रहो बस सब काम धंधे बंद होली और सिर्फ होली लेकिन अब ये बात गुजरे जमाने की हो गई है लेकीन ऐसा क्या था की कानपुर के लोग सात दिनों तक होली मानते थे .. इसक क्या इतिहास है तो हम आपको इतिहास के पन्नो से मिली जानकारी के अनुसार बताते है की कानपुर में मनाई जाने वाली होली अखित्र सात दिनों की क्योँ होती है वैसे ज्यादातर कानपुर वासी जानते है लेकिन बहुत से लोगो के पास पुख्ता जानकारी नहीं है ,.. मैने भी इस विषय पर काफी पड़ा और जाना लगो से तब जा क़र जो बाते सामने आई है उनको मैं आप लोगो के साथ बाट रहा हु ॥

इतिहास कारों और जानकारों के हिसाब से कानपुर के हटिया पार्क जो की हटिया बाज़ार ( हटिया बाज़ार जहा लोहा बर्तन खोया व अन्य सामानों की थोक बिक्री होती है और मूलगंज के निकट है ) से लगा हुआ है में कुछ स्वतंत्रता संग्राम से जुडे लोगो की मीटिंग चल रही थी जिसका उद्देश्य ये था की इस बार होली मेले में क्या खास किया जाय लेकिन अंग्रेजो को ये बात नागवार गुजरी और उनको लगा की ये अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ साजिश की जा रही है .. और उन्होने पूरे हटिया बाज़ार को चारो ओर से घेर लिया और वहा पार्क में मौजूद सभी लोगो को गिरफ्तार क़र लिया .. फिर क्या था कानपुर वासियों को ये बात बढ़ी ही ख़राब लगी और सभी ने होली मनाने से इंकार क़र दिया जो की एक आन्दोलन के रूप ले चुका था और अंग्रेजी हुकूमत भी इस बात से घबरा गई और उन्होने सभी को छोड़ दिया ये बात की की सभी गिरफ्तार लोगो को छोड़ जा रहा है सभी शहर वासी जेल गेट पर इक्कठा होने लगे और बाहर आते ही जय कारों और अबीर गुलाल के साथ होली खेली गई वही दूसरी ओर सभी ने हटिया में एक जुलुस की तैय्यारी क़र रखी थी जिसमे ड्रम आदि रखे थे थे सभी ने सरसैया घाट में स्नान करने के बाद होली खेले और शाम में मेले के रूप में गले मिले तभी से यहाँ कानपुर में सात दिनों की होली मनाई जाती है

वही दूसरी राय के अनुसार जो की पहली के के अनुसार ही है के अनुसार भी हटिया पार्क में सभी स्व्त्रत्न्त्रता संग्राम और क्रांत्कारियो का मैं जमावड़ा हटिया बन चुका था जहा झंडा गीत लिखने वाले स्वर्गीय श्री श्याम लाल गुप्ता जी ने नव जीवन पुस्तकालय का निर्माण भी करवाया था .. और सभी
क्रांतकारी वहा आकार बैठते थे .. इतिहास करो के अनुसार सभी ने हटिया पार्क में इक्कठा होकर तिरंगा फहेरा दिया और देश की आज़ादी की घोषणा क़र दी जिससे की अंग्रेजी हुकूमत बौखला गए और अंग्रेजो ने घुड़सवार की मदद से पुरे हटिया को छावनी बना दिया और सभी जिसमे (श्याम लाल गुप्त पार्षदगुलाबचन्द्र सेठ, बुद्धूलाल मेहरोत्रा जागेश्वर त्रिवेदी, jपं० मुंशीराम शर्मा सोम‘, रघुबर दयाल, बाल कृष्ण शर्मा नवीन‘, ‘, और हामिद खाँ को गिरफ्तार करके जेल में ड़ाल दिया और सभी को हिदायत भी दी की इस तरह से कोई भी एक जगह एकत्र होकर मीटिंग न करे .. जिससे की लोगो में गुस्सा बड़ा और सभी ने होली के त्यौहार का बहिस्कार क़र दिया और और इस बात का कानपुर की जानता ने पुरजोर विरोध भी किया जिसका परिणाम ये हुआ की अंग्रेजो ने सभी तो छोड़ दिया छोडने वाला दिन अनुराधा नक्षत्र था और सभी को ये बात मालूम पड़ गई की आज सभी की रिहाई होनी है इसलिए लोग जुलुस कीशक्ल में जेल गेट के बाहर गेट पर एकत्र हो गए..और ...ये होली का रंग सात दिनों का आज तक बदस्तूर जारी हैलेकिन अब कुछ लोग इसको २ या तीन दिन में करने की बात कहने लगे है कारण बदती हुई महेंगाई और लोगो में काम होता आपसी भाई चारा ॥
खैर

अब बात करते है तीसरी राय पर जो की की शायद कम लोग ही जानते है ॥ इस बात के अनुसार जाजमऊ और उससे लगे बारह गाव में जब कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन था और उस समय इरान के एक शहर
जंजान के शहर काजी सिराजुद्दीनके शिष्यों के जाजमऊ पहुचने पर वहा के लोगो ने उनका स्वागत किया लेकिन जब ये बात रजा को पता चली तो उन्होने तुरंत ही आदेश दिया की वो तुरंत ही अपने लोगो के साथ इस जगह को अलविदा कह दे इस बात को लेकर लोगो के दो गुट बन गए जिसमे की एक रजा और एक शहर काजी के साथ में होगया और दोनों में ही युद्ध छिड गया जिसमे तख्ता पलट हुआ औरसाथ ही कई लोग मारे भी गएऔर माहौल बड़ा ही गमगीन होगया और उस दिन ही होली होनी थी सो सभी ने होली को पाच दिन जब पंचमी को मनाने का निर्णय लिया तभी से यहाँ 5 दिनोंबाद पंचमी का मेला लगता है ....






Posted By KanpurpatrikaFriday, March 18, 2011